Roshan sharma

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आहिस्ता चल जिंदगी

आहिस्ता चल ज़िन्दगी,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,

कुछ दर्द मिटाना बाकी है,
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;

रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए;
रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;

कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;

कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;

तू आगे चल में आता हु, क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?
इन साँसों पर हक है जिनका, उनको समझाना बाकी है ;

आहिस्ता चल जिंदगी,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।

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1 Comments

Satesh Dev Pandey

25-Mar-2021 07:28 AM

बहुत सुन्दर

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